गुरुत्व और गुरुत्वाकर्षण बल: परिभाषा, अंतर और नियम
मुख्य सारांश: हम अक्सर सुनते हैं कि कोई भी चीज ऊपर फेंकने पर नीचे ही क्यों आती है या ग्रह सूर्य के चारों ओर क्यों घूमते हैं। इन सभी सवालों का जवाब एक अदृश्य शक्ति में छिपा है, जिसे हम गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं। यह एक मौलिक बल है जो ब्रह्मांड की हर वस्तु पर काम करता है। आइए, गुरुत्वाकर्षण बल और गुरुत्व बल को सरल भाषा में समझते हैं।
गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते हैं? (What is Gravitational Force?)
परिभाषा: ब्रह्मांड में किन्हीं भी दो वस्तुओं के बीच, उनके द्रव्यमान (mass) के कारण लगने वाले आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) कहते हैं।
इसका मतलब है कि हर वह वस्तु जिसमें द्रव्यमान है, वह दूसरी वस्तु को अपनी ओर खींच रही है, चाहे वह कितनी भी छोटी या बड़ी क्यों न हो। यह बल बिना किसी संपर्क के काम करता है।
मुख्य बिंदु:
-
यह एक सार्वभौमिक बल है, यानी यह ब्रह्मांड में हर जगह मौजूद है।
-
यह हमेशा आकर्षण ( खींचने वाला) बल होता है, यह कभी भी धकेलता नहीं है।
-
बल का मान वस्तुओं के द्रव्यमान और उनके बीच की दूरी पर निर्भर करता है।
उदाहरण:
-
सूर्य और ग्रहों के बीच का बल: सूर्य का गुरुत्वाकर्षण बल ही सभी ग्रहों को उनकी कक्षाओं में बांधे रखता है और उन्हें अंतरिक्ष में भटकने से रोकता है।
-
पृथ्वी और चंद्रमा: पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल चंद्रमा को उसकी कक्षा में बनाए रखता है, जिसके कारण चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है।
गुरुत्व बल किसे कहते हैं? (What is Gravity?)
परिभाषा: जब दो वस्तुओं में से एक वस्तु पृथ्वी हो, तो उन दोनों के बीच लगने वाले गुरुत्वाकर्षण बल को ही गुरुत्व बल (Force of Gravity या सिर्फ Gravity) कहा जाता है।
सरल शब्दों में, गुरुत्व, गुरुत्वाकर्षण बल का ही एक विशेष रूप है, जो विशेष रूप से पृथ्वी द्वारा किसी अन्य वस्तु पर लगाए गए खिंचाव को दर्शाता है।
उदाहरण:
-
पेड़ से सेब का टूटकर नीचे गिरना।
-
हवा में उछाली गई गेंद का वापस जमीन पर आना।
-
हमारा जमीन पर चल पाना, यह सब पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण ही संभव है।
गुरुत्वाकर्षण और गुरुत्व में मुख्य अंतर
गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force) | गुरुत्व बल (Gravity) |
यह ब्रह्मांड में किन्हीं भी दो वस्तुओं के बीच लगता है। | यह पृथ्वी और किसी अन्य वस्तु के बीच लगता है। |
यह एक सामान्य (General) शब्द है। | यह एक विशिष्ट (Specific) शब्द है। |
उदाहरण: सूर्य और मंगल के बीच का बल। | उदाहरण: पृथ्वी और आपके बीच का बल। |
गुरुत्वाकर्षण की खोज किसने और कब की?
गुरुत्वाकर्षण बल की खोज का श्रेय महान भौतिक विज्ञानी सर आइज़ैक न्यूटन (Sir Isaac Newton) को दिया जाता है। उन्होंने सन् 1687 में अपनी प्रसिद्ध पुस्तक “प्रिंसिपिया मैथेमेटिका” में इसके बारे में बताया।
हालांकि, उनसे बहुत पहले भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री ब्रह्मगुप्त (7वीं शताब्दी) ने यह ধারণা दी थी कि पृथ्वी में एक आकर्षण शक्ति है जो चीजों को अपनी ओर खींचती है।
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम (Newton’s Universal Law of Gravitation)
न्यूटन ने बताया कि दो वस्तुओं के बीच लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल कितना होता है। उनके नियम के अनुसार:
“किन्हीं दो पिंडों के बीच कार्य करने वाला आकर्षण बल उन पिंडों के द्रव्यमानों के गुणनफल के समानुपाती (proportional) तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती (inversely proportional) होता है।”
सूत्र (Formula):
F = G (m1 * m2) / r²
यहाँ,
-
F = गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)
-
G = सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण नियतांक (Universal Gravitational Constant), जिसका मान निश्चित होता है।
-
m1 और m2 = दोनों वस्तुओं का द्रव्यमान (Mass of the two objects)
-
r = दोनों वस्तुओं के केंद्रों के बीच की दूरी (Distance between them)
नियम का सरल अर्थ:
-
द्रव्यमान का प्रभाव: वस्तुओं का द्रव्यमान जितना अधिक होगा, उनके बीच का गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही अधिक होगा। (समानुपाती)
-
दूरी का प्रभाव: वस्तुओं के बीच की दूरी जितनी अधिक होगी, उनके बीच का गुरुत्वाकर्षण बल उतना ही कम होगा। (व्युत्क्रमानुपाती)