परिचय:
खरीफ का सीजन पूरे जोर पर है! जहाँ कई किसान मक्का, ज्वार, धान जैसी पारंपरिक फसलें लगा चुके हैं, वहीं अभी भी एक ऐसी फसल बोने का सुनहरा मौका है जो आपको बंपर मुनाफा दिला सकती है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं तिल की! तिल की बुवाई के लिए 31 जुलाई तक का समय उत्तम है, खासकर मानसून के आगमन के बाद। तिल की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं, क्योंकि इसका तेल बाजार में सामान्य खाद्य तेलों के मुकाबले लगभग दोगुनी कीमत पर बिकता है। सोचिए, अगर सरसों का तेल 200 रुपये किलो है, तो शुद्ध तिल का तेल आसानी से 400 रुपये किलो या उससे भी ज़्यादा में बिक सकता है! आजकल शुद्ध और स्वास्थ्यवर्धक तेलों की मांग बढ़ रही है, और तिल का तेल इस मामले में अव्वल है। तेल के अलावा, तिल के दानों की सीधी बिक्री और इसके अनगिनत औषधीय गुणों के कारण बाजार में इसकी मांग साल भर बनी रहती है। आइए, ट्रैक्टर जंक्शन की इस खास पोस्ट में जानें कि कैसे तिल की खेती आपकी आय को कई गुना बढ़ा सकती है।
भारत में कहाँ होती है तिल की खेती?
भारत तिल उत्पादन में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और यहाँ की पैदावार देश-विदेश की जरूरतों को पूरा करती है। तिल की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश (खासकर बुंदेलखंड क्षेत्र), महाराष्ट्र, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों में प्रमुखता से की जाती है।
बुवाई का सही समय और तरीका (जुलाई है खास!)
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समय: खरीफ सीजन में तिल बोने का सबसे अच्छा समय जुलाई का महीना है, विशेषकर दूसरा पखवाड़ा। आप 31 जुलाई तक बुवाई कर सकते हैं।
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खेत की तैयारी: बुवाई से पहले खेत की 2-3 बार कल्टीवेटर या हल से जुताई करें और फिर पाटा लगाकर खेत को समतल और भुरभुरा बना लें।
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बीज की मात्रा: एक हेक्टेयर खेत के लिए 5 से 6 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है।
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बुवाई का तरीका: बीजों को कतारों में बोना सबसे अच्छा रहता है। कतार से कतार की दूरी 30-45 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 15 सेमी रखें। बीज को केवल 2 सेमी गहरा बोएं।
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नमी और मिट्टी: बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना बेहद ज़रूरी है। मिट्टी का पीएच मान 5-8 के बीच उपयुक्त रहता है।
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जरूरी टिप्स: तिल का बीज बहुत छोटा होता है। इसे समान रूप से बोने के लिए बीज को सूखी रेत, राख या बारीक बलुई मिट्टी में मिलाकर छिड़काव करें।
कम उपजाऊ जमीन पर भी संभव है बंपर कमाई
तिल की एक बड़ी खासियत यह है कि इसे बहुत उपजाऊ मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती। हल्की रेतीली, दोमट मिट्टी इसके लिए उत्तम है, लेकिन यह कम उपजाऊ भूमि पर भी अच्छी पैदावार दे सकती है। आप तिल की एकल फसल ले सकते हैं या इसे अरहर, मक्का, ज्वार जैसी फसलों के साथ सहफसली के रूप में भी उगा सकते हैं। कतारों में बुवाई करने से निराई-गुड़ाई जैसे काम आसान हो जाते हैं।
कैसा मौसम चाहिए तिल को? (तापमान का रखें ध्यान)
तिल गर्म और नम जलवायु की फसल है। इसके अच्छे विकास के लिए 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श होता है। ध्यान रखें कि तापमान 40 डिग्री से ऊपर जाने पर गर्म हवाएं तेल की मात्रा कम कर सकती हैं, वहीं 15 डिग्री से कम तापमान फसल को नुकसान पहुंचा सकता है।
उन्नत किस्में और बीजोपचार
तिल की फसल लगभग 85-90 दिनों में पककर तैयार हो जाती है। कुछ उन्नत और प्रचलित किस्में हैं:
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टा-78, शेखर, प्रगति, तरूण (एकल व सन्मुखी फलियां)
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आरटी 351 (बहुफलीय व सन्मुखी)
इन किस्मों की औसत उपज क्षमता 2.0 से 2.5 क्विंटल प्रति बीघा तक हो सकती है।
महत्वपूर्ण: बुवाई से पहले बीज का उपचार अवश्य करें। प्रति किलोग्राम बीज को 3 ग्राम थीरम और 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करना रोगों से बचाव के लिए आवश्यक है।
खाद और उर्वरक का सही प्रयोग
अच्छी उपज के लिए मिट्टी की जांच कराकर ही खाद और उर्वरक का प्रयोग करना सबसे बेहतर है। सामान्य सिफारिशों के अनुसार:
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बुवाई से पहले 250 किलोग्राम जिप्सम प्रति हेक्टेयर डालें।
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बुवाई के समय 2.5 टन अच्छी सड़ी गोबर की खाद के साथ 5 किलोग्राम एज़ोटोबैक्टर और 5 किलोग्राम फास्फोरस सोल्युबिलाइजिंग बैक्टीरिया (PSB) प्रति हेक्टेयर प्रयोग करें।
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250 किलोग्राम नीम की खली का प्रयोग भी बहुत लाभदायक होता है।
रोग और कीटों से कैसे बचाएं फसल?
तिल में मुख्य रूप से जीवाणु अंगमारी और तना/जड़ सड़न रोग का प्रकोप देखा जाता है।
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जीवाणु अंगमारी: इसमें पत्तियों पर पानी जैसे धब्बे बनते हैं जो बाद में भूरे हो जाते हैं। रोकथाम के लिए लक्षण दिखते ही स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (4 ग्राम/150 लीटर पानी) का छिड़काव करें और 15 दिन बाद दोहराएं।
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तना/जड़ सड़न: इसमें पौधे सूखने लगते हैं और तना गलने लगता है। इसकी रोकथाम के लिए बीजोपचार सबसे प्रभावी उपाय है।
निष्कर्ष:
तिल की खेती सही तकनीक और जानकारी के साथ करने पर निश्चित रूप से किसानों के लिए लाखों की कमाई का जरिया बन सकती है। इसकी बाजार में अच्छी कीमत और लगातार बनी रहने वाली मांग इसे खरीफ सीजन की एक बेहद आकर्षक फसल बनाती है। तो देर किस बात की, अगर आपके पास उपयुक्त जमीन और संसाधन हैं, तो इस सीजन तिल की खेती कर अपनी आय को दोगुना करने का यह सुनहरा अवसर हाथ से न जाने दें!