शीर्षक: आत्मनिर्भर भारत का संकल्प: उद्योग जगत की भागीदारी से सँवरेगा भविष्य!
भारत के प्रधानमंत्री ने भारतीय उद्योग जगत का आह्वान किया है कि वह ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विराट सपने को साकार करने में अपनी निर्णायक भूमिका निभाए। भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के वार्षिक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि देश की प्रगति और आत्मनिर्भरता का मार्ग उद्योग की सक्रिय और समर्पित भागीदारी से ही प्रशस्त होगा। यह सम्मेलन उद्योग जगत और सरकार के बीच बढ़ते तालमेल और भविष्य की संभावनाओं का प्रतीक बना।
सम्मेलन की चमक: उद्योग जगत के लिए नए क्षितिज
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निवेशक-हितैषी माहौल की गारंटी: प्रधानमंत्री ने विश्वास दिलाया कि भारत का कारोबारी माहौल निवेशकों और व्यापार के लिए पहले से कहीं अधिक अनुकूल है। उन्होंने कहा कि उद्योगों के लिए यहाँ संभावनाओं का आकाश खुला है, जिसका लाभ उठाने के लिए उद्योग जगत को आगे आना चाहिए।
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अवसरों को भुनाने का आह्वान: बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत के लिए उभर रहे नए अवसरों को भुनाने में उद्योग जगत नेतृत्व करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि नई नीतियाँ और उभरती स्थितियाँ भारत को अपने पक्ष में मोड़ने का सुनहरा मौका प्रदान करती हैं।
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“मेक इन इंडिया” की नई, व्यापक परिभाषा: “मेक इन इंडिया” अभियान को और सशक्त बनाते हुए, प्रधानमंत्री ने “मेड बाई इंडिया” के बजाय भारत में निर्माण पर ज़ोर दिया। इसका अर्थ है कि कोई भी विदेशी कंपनी जो भारत में आकर उत्पादन करती है, वह भी भारत में निर्मित उत्पादों का अभिन्न अंग है। यह कदम प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) और पोर्टफोलियो निवेश (FPI) को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा।
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कारोबार में सुगमता और पारदर्शी कराधान: सरकार ने ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। अतीत की जटिलताओं को दूर करते हुए, पूर्वव्यापी कराधान (retrospective taxation) में संशोधन जैसे साहसिक कदम उठाए गए हैं, जिससे निवेशकों का भरोसा और बढ़ा है।
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स्टार्टअप इकोसिस्टम का स्वर्णिम युग: भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेज़ी से फल-फूल रहा है। देश में यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स (जिनका बाज़ार मूल्यांकन कम-से-कम 1 बिलियन डॉलर है) की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। गर्व की बात है कि इन 60 यूनिकॉर्न्स में से लगभग 21 महामारी के चुनौतीपूर्ण वर्षों के दौरान ही उभरे, जो भारतीय युवाओं की नवाचार क्षमता और उद्यमिता का प्रमाण है।
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कृषि क्षेत्र का कायाकल्प: कृषि सुधारों के माध्यम से भारतीय कृषि को वैश्विक बाजारों से जोड़ने की प्रतिबद्धता भी दोहराई गई, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी और कृषि क्षेत्र में नए निवेश आकर्षित होंगे।
सरकार के प्रगतिशील कदम: उद्योग जगत को संबल
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सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की ओर: सौर ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए, सरकार ने 1 अप्रैल, 2022 से सौर मॉड्यूल पर 40% और सौर सेल पर 25% मूल सीमा शुल्क (BCD) लगाने का निर्णय लिया है। यह कदम घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देगा और आयात पर निर्भरता कम करेगा।
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स्टार्टअप इंडिया को नए पंख: 2016 में शुरू हुआ ‘स्टार्टअप इंडिया’ अभियान उद्यमियों को निरंतर समर्थन दे रहा है, जिसका लक्ष्य भारत को ‘जॉब सीकर’ से ‘जॉब गिवर’ देश में बदलना है। यह अभियान नए विचारों को धरातल पर उतारने में मदद कर रहा है।
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घरेलू उद्योगों को संरक्षण और प्रोत्साहन: सरकार ने टैरिफ आधारित नीतियों के माध्यम से घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहित करने का मार्ग अपनाया है। इसका उद्देश्य भारतीय उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करते हुए उन्हें आवश्यक संरक्षण और प्रोत्साहन प्रदान करना है, ताकि वे देश की जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ निर्यात में भी अग्रणी बन सकें।
भविष्य की राह: मिलकर गढ़ेंगे नया भारत
हालांकि कुछ चुनौतियाँ जैसे उपभोक्ताओं के लिए सीमित विकल्प या टैरिफ का अल्पकालिक बोझ सामने आ सकते हैं, परन्तु सरकार और उद्योग जगत इनके समाधान के लिए प्रतिबद्ध हैं।
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वैश्विक मानकों से कदमताल: भारतीय नीतियों और बाजार को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ढालने की आवश्यकता है, ताकि पूंजी जुटाने के और अधिक अवसर खुल सकें।
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कृषि और उद्योग का संगम: कृषि में निवेश, नवीनतम तकनीक, बेहतर भंडारण और किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाने में उद्योग जगत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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नियामकीय स्थिरता और समन्वय: उद्योग जगत को स्थायी नियामक संस्थाओं और केंद्र-राज्य के बीच बेहतर नीतिगत समन्वय की अपेक्षा है, ताकि निवेश और विकास की गति और तेज हो सके।
निष्कर्ष: एक उज्ज्वल भविष्य की ओर
आत्मनिर्भर भारत का सपना केवल सरकार का नहीं, बल्कि सवा सौ करोड़ भारतवासियों का है, जिसमें उद्योग जगत एक महत्वपूर्ण भागीदार है। सरकार द्वारा किए गए नीतिगत सुधार और उद्योग जगत की कड़ी मेहनत रंग ला रही है। आने वाला समय चुनौतियों को अवसर में बदलने और सभी हितधारकों के समन्वित प्रयासों से एक सशक्त, समृद्ध एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का है।