भारत-पाक महासंग्राम: चार युद्ध, चारों बार पाकिस्तान को मिली करारी शिकस्त! जानें कब-कब हुई भिड़ंत
मुख्य बातें:
-
भारत और पाकिस्तान के बीच आज़ादी के बाद से ही तनावपूर्ण संबंध रहे हैं।
-
पाकिस्तान द्वारा बार-बार की गई घुसपैठ और आक्रामक कार्रवाइयां युद्ध का कारण बनीं।
-
हर प्रमुख युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई है।
भारत और पाकिस्तान, दो ऐसे पड़ोसी देश जिनके बीच आज़ादी के बाद से ही तनाव का माहौल रहा है। कभी भारत का ही अभिन्न अंग रहा पाकिस्तान अपनी स्थापना के बाद से ही भारत के खिलाफ शत्रुतापूर्ण रवैया अपनाता रहा है और कश्मीर पर अवैध दावे करता रहा है। इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच कई बार युद्ध की स्थिति बनी। आइए, जानते हैं इन युद्धों का संक्षिप्त इतिहास और कैसे हर बार पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी।
1. 1947 का युद्ध: कश्मीर पर पहला नापाक प्रयास
आज़ादी के तुरंत बाद, अक्टूबर 1947 में पाकिस्तान ने कश्मीर हड़पने की अपनी पहली कोशिश की। इसे ‘प्रथम कश्मीर युद्ध’ के नाम से जाना जाता है। जब रियासतों को भारत या पाकिस्तान में विलय या स्वतंत्र रहने का विकल्प मिला, तो पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। पाकिस्तानी सेना के समर्थन से कबायली लड़ाकों ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। महाराजा हरि सिंह ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत से सैन्य सहायता मांगी और जम्मू-कश्मीर का भारत में विधिवत विलय कर दिया। भारतीय सेना ने वीरतापूर्वक जवाबी कार्रवाई की। अंततः, संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद 1 जनवरी, 1949 को युद्धविराम हुआ और नियंत्रण रेखा (LoC) अस्तित्व में आई। इस युद्ध में भारत ने कश्मीर के दो-तिहाई हिस्से पर अपना नियंत्रण बनाए रखा, जबकि पाकिस्तान ने अवैध रूप से गिलगित-बाल्टिस्तान और आज़ाद कश्मीर पर कब्ज़ा कर लिया, जिसे भारत ‘पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर’ (PoK) कहता है।
2. 1965 का युद्ध: ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ हुआ फेल
1947 की हार से तिलमिलाए पाकिस्तान ने 1965 में एक बार फिर कश्मीर में घुसपैठ कर अशांति फैलाने की कोशिश की, जिसे ‘ऑपरेशन जिब्राल्टर’ नाम दिया गया। उनकी योजना भारतीय कश्मीर में विद्रोह भड़काना था। भारत ने इसका मुंहतोड़ जवाब देते हुए पश्चिमी पाकिस्तान के खिलाफ चौतरफा सैन्य कार्रवाई शुरू कर दी। यह युद्ध 17 दिनों तक चला और इसमें दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ। इस युद्ध में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी टैंकों की लड़ाई देखी गई। अंततः, सोवियत संघ और अमेरिका के हस्तक्षेप से युद्धविराम हुआ। इस युद्ध में भी भारत का पलड़ा भारी रहा, क्योंकि पाकिस्तान की घुसपैठ की योजना पूरी तरह विफल हो गई थी।
3. 1971 का युद्ध: बांग्लादेश का उदय और पाकिस्तान का शर्मनाक आत्मसमर्पण
1971 का युद्ध ऐतिहासिक था, जिसके परिणामस्वरूप एक नए राष्ट्र ‘बांग्लादेश’ का उदय हुआ। तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में पश्चिमी पाकिस्तान के दमनकारी शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम छिड़ चुका था। शेख मुजीबुर रहमान के नेतृत्व में चले इस आंदोलन को कुचलने के लिए पाकिस्तानी सेना ने ‘ऑपरेशन सर्चलाइट’ चलाया, जिसमें लाखों निर्दोष बंगालियों का नरसंहार हुआ। लगभग एक करोड़ बंगाली शरणार्थी भारत आ गए।
भारत ने मानवीय आधार पर और बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी का समर्थन करते हुए हस्तक्षेप किया। बौखलाए पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया, जिसके बाद दोनों देशों के बीच पूर्ण युद्ध छिड़ गया। भारतीय सेना ने अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करते हुए पाकिस्तानी सेना को बुरी तरह पराजित किया। पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसमें 90,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक युद्धबंदी बनाए गए – यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ी संख्या थी। इस युद्ध में पाकिस्तान ने अपनी आधी नौसेना, एक-चौथाई वायुसेना और एक-तिहाई सेना खो दी। भारत ने पाकिस्तान की लगभग 15,000 वर्ग किलोमीटर भूमि पर कब्ज़ा कर लिया था, जिसे बाद में शिमला समझौते के तहत सद्भावना के तौर पर लौटा दिया गया।
4. 1999 का युद्ध: कारगिल में पाकिस्तान की करारी हार
1999 में पाकिस्तान ने एक बार फिर पीठ में छुरा घोंपते हुए कारगिल में नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर भारतीय चौकियों पर कब्ज़ा कर लिया। इसे ‘कारगिल युद्ध’ के नाम से जाना जाता है। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ के तहत तुरंत जवाबी कार्रवाई की। दुर्गम पहाड़ी इलाकों में भारतीय सैनिकों ने असाधारण वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया।
भारत ने सैन्य कार्रवाई के साथ-साथ कूटनीतिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया। अंतर्राष्ट्रीय दबाव, विशेषकर अमेरिका के दबाव के कारण पाकिस्तान को पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा। इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी सैन्य क्षति उठानी पड़ी। तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ ने बाद में स्वीकार किया कि इस संघर्ष में 4,000 से अधिक पाकिस्तानी सैनिक मारे गए और पाकिस्तान यह युद्ध हार गया। यह पाकिस्तान की एक और शर्मनाक हार थी।
निष्कर्ष:
इन प्रमुख युद्धों के अलावा भी सीमा पर अक्सर छोटे-मोटे संघर्ष और पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद की घटनाएं होती रही हैं। भारत ने हमेशा ‘पहले हमला न करने’ (No First Strike) की अपनी नीति का पालन किया है और केवल आत्मरक्षा तथा सीमा पार आतंकवाद के जवाब में ही कार्रवाई की है। इतिहास गवाह है कि जब भी पाकिस्तान ने भारत की अखंडता और संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश की है, उसे मुंह की खानी पड़ी है।